Add these 8 yoga poses to strengthen your heart-हृदय को मजबूत करने के लिए योगआजकल तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और खान-पान में अनियमितता के कारण, अक्सर लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना पड़ जाता है। दिल से जुड़ी परेशानी भी इन्हीं समस्याओं में से एक है।
हृदय को मजबूत करने के लिए योग
- वीरभद्रासन
- सेतु-आसन
- भुजंगासन
- सर्वांगासन
- अंजली मुद्रा
- गोमुखासन
- वृक्षासन
- ताड़ासन
हमारा दिल दिन में 24 घंटे काम करता है। यह शरीर का महत्वपूर्ण अंग है जो ऑक्सीजन और रक्त को पंप करके शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाता है। इसलिए जरूरी है कि इसकी सही देखभाल की जाए और इसके स्वास्थ्य का खास ध्यान रखा जाए। ऐसे में आप दिल को मजबूत बनाए रखने के लिए योगासन की मदद ले सकते हैं। योगासन ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने में मदद कर सकते हैं, जिससे हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। हम आपको यहां उन योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जो दिल को मजबूत बनाए रखने में आपकी मदद करेंगे। आइये जानते हैं इन योगासन के बारे में...
ताड़ासन
यह दिल की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, मस्तिष्क में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाकर तनाव भी कम करता है। इस मुद्रा के लिए आपको अपने पैरों को आपस में मिलाकर या लगभग 10 सेंटीमीटर की दूरी पर खड़ा होना है। अपने दोनों हाथों को अपने सिर के ऊपर उठाएं, हथेलियां एक दूसरे के सामने हों। अपनी उंगलियों को इंटरलॉक करें और हथेलियों को ऊपर की ओर मोड़ें। अब सांस भरते हुए और अपनी बाहों, कंधों और छाती को ऊपर की ओर खींचते हुए अपने पैरों की एड़ी को फर्श से ऊपर उठाएं। आपको अपने पूरे शरीर को अपने पैर की उंगलियों पर संतुलित करना चाहिए। बिना संतुलन खोए 10 सेकंड के लिए इस स्थिति में रहें। फिर सांस छोड़ें और एड़ियों को पहले नीचे करें और फिर हाथों को। इस आसन को आप 10 बार कर सकते हैं।
वृक्षासन
यह छाती की मांसपेशियों को खोलता है, जिससे रक्त प्रवाह में धमनियों पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता और रक्तचाप कम होता है। वृक्षासन मन को शांत व संतुलित करता है। शांत मन के लिए यह मुद्रा काफी फायदेमंद है। इसे करने से हृदय प्रणाली बेहतर रहती है। इस आसन को करने के लिए पहले आप सीधे तरह तनकर खड़े हो जाएं और अपने शरीर का भार बाएंस पैर पर डाल दें फिर अपने दाएं पैर को बाएं पैर पर मोड कर रखें। गहरी सांस लते हुए अपने हाथों को सिर के उपर की ओर खींजिए। अब इस मुद्रा में कुछ सेकेण्ड तक बने रहे। इस मुद्रा को 5 बार दोहराएं।
गोमुखासन
यह रक्त प्रवाह सुचारु बनाता है, कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी लाकर हार्ट अटैक से महफूज रखता है। इसे करने के लिए फर्श पर बैठ जाएं और अपने दोनों पैरों को अपने शरीर के सामने घुटनों पर मोड़कर रखें। बाएं पैर को दाहिने पैर के नीचे इस तरह स्लाइड करें कि बायीं एड़ी दाहिने कूल्हे के बाहरी हिस्से को छुए। दायीं एड़ी को बायें कूल्हे के बाहरी हिस्से पर रखें। अपने पैरों को इस तरह समायोजित करें कि आपका दाहिना घुटना आपके बाएं घुटने के ऊपर हो। एक बार जब आपके पैर स्थिति में हों, तो कोहनी को मोड़कर अपने दाहिने हाथ को मोड़ें और इसे अपनी पीठ के पीछे नीचे से ले जाएं और अपने दाहिने हाथ के पिछले हिस्से को अपनी रीढ़ के ऊपर रखें। अपने बाएं हाथ को सीधा ऊपर उठाएं, इसे कोहनी से मोड़ें और बाएं हाथ की हथेली को अपने बाएं कंधे के पीछे रखें। अब दोनों हाथों की उंगुलियों को पीठ के पीछे पकड़ने की कोशिश करें। उंगलियों को पकड़ते हुए सिर और रीढ़ को सीधा रखें। दो मिनट के लिए इस स्थिति में रहें।
अंजली मुद्रा
अंजली मुद्रा आसन प्रतिदिन करने से हमारी श्वसन प्रणाली दुरुस्त रहती है और शरीर में आॅक्सीजन की मात्रा पर्याप्त होने लगती है। जिसका सीधा असर हमारे ब्लड सर्कुलेशन पर पड़ता है और हृदय स्वस्थ रहता है और बेहतर तरीके से काम करता है। अंजली मुद्रा आसन करने के लिए सीधे खड़े जाएं और दोंनो हाथों को जोड़कर छाती के बीचों-बीच रखें। फिर आंखे बंद कर सीधें से सांस अंदल लें, थोड़ी देर सांस रोकें फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें। यही पैटर्न कुछ मिनटों तक दोहराएं।
सर्वांगासन
यह स्ट्रेस हार्मोन 'कॉर्टिसोल' का स्राव घटाकर रक्त प्रवाह को सुचारु बनाता है, हृदयगति भी नियंत्रित रखता है। इसे करने के लिए सिर, रीढ़ और पैरों को एक सीध में रखते हुए पीठ के बल लेट जाएं। हाथों को अपने शरीर के बगल में रखें। हथेलियां नीचे की ओर हों। अपने कोर को कस लें और अपनी हाथों की मदद से अपने पैरों को हवा में ऊपर उठाएं। जब पैर सीधे हवा में हों, तो अपने नितंबों और रीढ़ को फर्श से ऊपर उठाएं, साथ ही साथ अपनी कोहनियों को मोड़ें और अपने हाथों की हथेलियों को ऊपर की ओर मोड़ें और अपनी पीठ को सहारा देने के लिए इन्हें अपनी पीठ पर, रिब के ठीक पीछे रखें। अपनी हथेलियों के साथ, अपनी पीठ को आगे की ओर इस बिंदु पर धकेलें कि आपकी छाती आपकी ठुड्डी से दब जाए। जब तक आप सहज महसूस करें, तब तक इस स्थिति में रहने की कोशिश करें। फिर धीरे-धीरे अपनी पीठ, कूल्हों और फिर पैरों को फर्श पर नीचे करके प्रारंभिक स्थिति में लौट आएं। एक मिनट के लिए आराम करें और फिर इस आसन को 5 बार दोहराएं।
भुजंगासन
यह आसान प्रतिदिन करने से हृदय मजबूत बनता है व दिल और फेफड़ों का मार्ग भी इसे करने से साफ होता है। इसके अलावा भुजंगासन अस्थमा के रोगियों के लिए भी बहुत फायदेमंद रहता है। भुजंगासन को करने के लिए पेट के बल लेट जाइये तथा पैरों को सीधा व लम्बा फैला दीजिए। अपने हथेलियों को कंधों के नीचे जमीन पर रखिये तथा अपने सिर को जमीन से छूने दीजिये। पीठ की मांसपेशियों को शिथिल कीजिये। अब धीरे-धीरे सिर व कंधों को जमीन से उपर उठाइये और सिर को जितना पीछे की तरफ ले जा सकें ले जाइये। यह क्रिया शुरूआत में दो से तीन बार कीजिए फिर धीरे-धीरे करने का समय बढाते जाइये।
सेतु-आसन
यह हार्ट रेट को कम करता है और पूरे सिस्टम को रिलैक्स करने में मदद करता है। इसे करने के लिए अपने पैरों को आगे, पीछे सीधे और हथेलियों को शरीर के दोनों ओर फर्श पर फैलाकर फर्श पर बैठें। अपनी हथेलियों को अपने नितंबों से 30 सेमी पीछे ले जाएं। अपनी कोहनियों को सीधा रखें। अब अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं और आपका शरीर कंधे से टखने तक एक लाइन में हो। एक बार स्थिति में आने के बाद, अपनी गर्दन को ढीला करें। पैरों और बाजुओं को सीधा रखते हुए अपने पैरों को जमीन पर सपाट रखने की कोशिश करें। जितनी देर हो सके इस पोजीशन में रहें और फिर अपने कूल्हों को धीरे-धीरे फर्श पर नीचे करें और कुछ मिनटों के लिए आराम करें।
वीरभद्रासन
यह फेफड़ों को बेहतर तरीके से स्ट्रेच कर के उन्हें खोलता है। यह आसन दिल को बेहतर तरीके से काम करने में भी मदद करता है। वीरभद्र आसन करने के लिए सबसे पहले एक पैर को पीछे की तरफ ले जाएं , वहीं दूसरे पावं को 90 डिग्री एंगल पर स्ट्रेच करें। दोनों हाथों को उपर ले जाकर जोड़ें, एकदम एक पहाड़ की शेप जैसा। फिर धीरे-धीरे दोनों हाथों को सामने की ओर लाएं और पीछे के पैर को और पीछे की तरफ स्ट्रेच करें। ध्यान रहे दूसरे पैर को उसी अवस्था में रहने। अब बारी-बारी से दोनों पैरो से इस आसन को करें। वीरभद्र आसन हमारे शरीर को शक्ति और दृढ़ता प्रदान करता है। यह एक ऐसा आसन ही जिससे हमारा तनाव दूर होता है और शरीर में शक्ति का प्रवाह होता है।