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 चलिए आपको एक कहानी सुनाता हूँ




एक लड़का जिसका नाम वीरेन्द्र होता है ।जिसने हाल ही में कक्षा 10 का एग्जाम दिया था पर उसके हिंदी विषय में सुप्पलेमेंट्री आ गई थी इसलिए उसे हिंदी की परीक्षा वापस देनी थी ।सारे विषय मे पास लेकिन हिंदी विषय मे फैल ,यह बात ज्यादा दुख वाली थी ।

सुप्पलेमेंट्री परीक्षा की तैयारी के लिए वीरेंद्र अपने ही मोहल्ले के एक सीनियर लड़के के पास गया ।उस लड़के ने वीरेंद्र को सलाह दी कि 33 नम्बर से पास होते है जबकि 20 नम्बर उसके स्कूल की तरफ से भेजे गए थे ,अब पास होने के लिए चाहिए 13 नम्बर ।

यह 13 नम्बर लाना भी वीरेंद्र के लिए बहुत मुश्किल का काम था क्योंकि वीरेंद्र को हिंदी में कुछ नहीं आता था ।

उस सीनियर लड़के ने वीरेंद्र को 3 नम्बर के तो संज्ञा और सर्वनाम के वो सवाल बता दिए जो हर साल आते है और वो वीरेंद्र ने कण्ठस्थ कर लिए ।अब पीछे बचे 10 नम्बर ।उसने वीरेंद्र को बताया कि परीक्षा में एक 10 नम्बर का लेख जरूर आता है जिसमे 10 में से 10 नम्बर बहुत कम ही मिलते है ,पर अब समस्या यह थी कि अबकी बार लेख आएगा किस पर ।तो उस लड़के ने अपने विश्लेषण के आधार पर बताया कि अबकी बार लेख "खेल" पर आ सकता है ,यह सुनते ही वीरेंद्र तो फूले ही नही समां पा रहा था क्योंकि वीरेंद्र तो क्रिकेट का बहुत बड़ा जानकर था ,शायद ही ऐसा कोई मैच हो जो वीरेंद्र ने नही देखा हो ।क्रिकेट की एक एक बात से वीरेंद्र वाकिफ था और इस पर तो वीरेंद्र को तैयारी की भी जरूरत नहीं थी ।बावजूद इसके वीरेंद्र ने क्रिकेट के बारे में बहुत कुछ और भी पढ़ लिया ।जैसे जैसे सुप्पलेमेंट्री की परीक्षा नजदीक आ रही थी वीरेंद्र और भी संतुष्ट हो रहा था क्योंकि लेख के 10 नम्बर तो कोई काट ही नही सकता था और 3 नम्बर के जवाब उसने कण्ठस्थ कर रखे थे ।

आखिरकार वो परीक्षा की वो घड़ी भी आ ही गई ।वीरेंद्र बिना किसी दूसरे सवाल को देखे सबसे पहले उन 3 नम्बर के सवाल पर गया और सबसे पहले वो किये ,यहा पर उसे पूरे 3 नम्बर मिल रहे थे ,अब जैसे ही उसने लेख वाला सवाल देखा कि उसकी तो आँखे तो खुली की खुली रह गई क्योंकि लेख था "पहली हवाई यात्रा का व्रतांत " ।

उस समय वीरेंद्र के मन मे एक ही बात आ रही थी कि…… एक दम से वक्त बदल दिया ,जज्बात बदल दिए ,जिंदगी बदल दी ।

क्योंकि वीरेंद्र ने तो कभी अपनी जिंदगी में हवाई सफर तो दूर हवाई जहाज को नजदीक से देखा भी नही था ,फिर अब लिखे तो लिखे क्या ??

फिर भी वीरेंद्र ने हिम्मत जुटाकर हवाई यात्रा पर लेख लिखने शुरू किया ...

एक समय की बात है जब मुझे जरूरी काम से दिल्ली से मुंबई जाना था ,काम थोड़ा जल्दी वाला था तो मैने हवाई जहाज की टिकट बुक करवा ली और यह मेरी पहली हवाई यात्रा भी थी ।हवाई जहाज के आने से एक घण्टे पहले ही मैं प्लेटफॉर्म पर आ चुका था ,वहा मैने देखा कि मेरे अलावा भी कुछ यात्री हवाई जहाज के आने का इंतजार कर रहे थे ।वही प्लेटफार्म पर पास में ही एक चाय का ढाबा था जिसका नाम शायद 'बाबा का ढाबा' था ,उस पर मैंने चाय पी ,वैसे चाय बहुत टेस्टी थी ,मानो चाय सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हो ।चाय पीते पीते ही मैं सोच रहा था कि काश हवाई जहाज में खिड़की के पास वाली शीट मिल जाए क्योंकि मुझे सफर के दौरान बाहर मुँह निकालकर बाल को उड़ाना मुझे बहुत अच्छा लगता था ।और तभी हवाई जहाज प्लेटफार्म पर आ ही गई और सारे यात्री उसमे चढ़ने लगे ,किस्मत का खेल तो देखिये भगवान ने मेरी सुन भी ली और मुझे खिड़की वाली शीट भी मिल गई ।हवाई जहाज एक ने एक जोरदार हॉर्न के साथ चलना शुरू किया ,अभी कुछ ही दूर चली कि वो हवा में उड़ गई।उस समय मैं लगभग 4000 मीटर की ऊँचाई पर था और मैने जैसे ही खिड़की से मुंह बाहर निकाला और नीचे देखा तो यह क्या चिन्नास्वामी स्टेडियम में दिल्ली और मुंबई के बीच मैच चल रहा था ।ऊपर मेरे बाल उड़ रहे थे और नीचे मैं मैच स्पष्ट रूप से देख पा रहा था और हवाई जहाज भी अपनी पूरी स्पीड में उड़ रही थी ।मैच बहुत ज्यादा रोमांचक लग रहा था और यह शायद ipl 2020 का फाइनल था ,दिल्ली उस समय बैटिंग कर रही थी ,आकाश चोपड़ा और गावस्कर की कमेंटरी मैं स्पष्ट रूप से सुन पा रहा था ।मैदान में बैठी नीता अंबानी भी मुझे दिख रही थी ,पिच पर थोड़ी बहुत घास भी छोड़ी गई थी ,हवाई जहाज के रास्ते मे बादलों की रुकावट आने के कारण ड्राइवर ने जोरदार ब्रेक लगाया और मेरा ध्यान भटका पर यह क्या इतने से ध्यान भटकते ही दिल्ली के 3 विकेट गिर चुके थे ।हवाई जहाज वापस अपनी पूरी स्पीड में उड़ने लगी और मैं भी अपना पूरा ध्यान खिड़की के बाहर मैच पर बनाया हुआ था ।अय्यर और पंत बहुत संभल कर खेल रहे थे ,स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था ,बाकी के ओवर दिल्ली ने सम्भलकर खेले और159 का टारगेट सेट किया था ,15 मिनट के ब्रेक के बाद मुंबई बैटिंग के लिए उतरी और उसकी शरुआत बहुत अच्छी रही थी ,रोहित और डी कोक सम्भलकर खेल रहे थे ,और फिर आखिरकार मुम्बई का भी पहला विकेट गिर गया ,वापस खिलाड़ी सम्भल कर खेल ही रहे थे कि यह क्या सूर्यकुमार यादव रन आउट हो गई ,मुझे स्पष्ट रूप से दिख रहा था कि यादव ने जान बूझकर अपना विकेट दिया था ,बावजूद इसके मुम्बई की मैच पर पकड़ बनी हुई थी जो अंत तक रही और आखिरकार मुम्बई ने यह मैच 5 विकेट से जीत ही लिया ,स्टेडियम के चारो तरफ पटाखे फोड़े जा रहे थे जिनकी आवाज मैं सुन पा रहा था ,नीता अंबानी तो बहुत ज्यादा खुश दिख रही थी ,मुझे अय्यर की आखों में छुपे आंसू भी दिख रहा थे ,मैच बहुत ज्यादा रोमांचक हुआ था और इस तरह मैच खत्म हुआ ।मैच खत्म होने के बाद जैसे ही मेने अपनी गर्दन अंदर की तो हवाई जहाज प्लेटफार्म पर उतर चुकी थी ,मैं भी बहुत खुश था ,सारे यात्री खुश नजर आ रहे थे और इस तरह मेरा पहला हवाई सफर पूरा हुआ ।

और जब थोड़े दिन बाद उसकी सुप्पलेमेंट्री परीक्षा का परिणाम आता है तो वीरेंद्र 33 नम्बर से पास हो जाता है ,मतलब उसे लेख के 10 में से 10 नम्बर मिलते है ।

स्रोत - एक अध्यापक द्वारा हमे सुनाई गई कहानी

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