एक मजेदार किस्सा...😊
शीला को किसी काम के सिलसिले में अचानक कहीं जाना पड़ता है, लेकिन अपने 3-4 साल के बेटे को कहाँ छोड़े, वो इसी उधेड़बुन में है, क्योंकि शीला के बेटे की आँखों से अगर उसकी मम्मी एक मिनट के लिए भी ओझल हो जाती है तो वो जोर जोर से रो-रोकर आसमान सिर पर उठा लेता है, इसलिए शीला को ज्यादा चिंता हो रही है!
तभी शीला को अपनी पड़ोसन (और सहेली) राधा का ख्याल आता है, उसकी भी 3 साल की एक बेटी है, शीला सोचती है, हम दोनों के बच्चे हमउम्र हैं, खेलते रहेंगे!
यही सोचकर शीला अपने बेटे को राधा के घर छोड़ने जाती है; लेकिन जैसे ही वह अपने बेटे को राधा के पास छोड़कर जाने लगती है, वह बच्चा जोर जोर से रोने लगता है,
"देखो राधा, मैं इसे पहली बार कहीं छोड़कर जा रही हूँ, इसका ख्याल रखना!" यह कहकर शीला बच्चा राधा को सौंपकर चली जाती है;
राधा अपनी बेटी को अपनी गोद में से उतारकर शीला के बेटे को गोद में ले लेती है और उसे अपनी बेटी के खिलौने देती है तो वो चुप हो जाता है!
राधा सारे दिन उस बच्चे को गोदी में ही लेकर रखती है, कभी उसे अपनी गोद में बिठाकर खाना खिलाती है, कभी झुलाती है, और वो हर मुमकिन कोशिश करती है कि बच्चा बस माँ को याद करके रोने न लग जाए और इस चक्कर में वह अपनी बेटी की तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं दे पाती!
इसी तरह सुबह से शाम हो जाती है, इस वक्त दोनों बच्चे खिलौनों से खेल रहे हैं, अचानक राधा की बेटी उस बच्चे के हाथ से एक खिलौना ले लेती है और वह बच्चा जोर जोर से रोने लगता है; तभी डोर बेल बजती है, और राधा बच्चे को गोद में लिए हुए ही दरवाजा खोलने चली जाती है; दरवाजे पर शीला है!
बच्चा अभी भी जोर जोर रो रहा होता है, उसे देखकर शीला झट से अपने बच्चे को अपनी गोद में ले लेती है और राधा को गुस्से से बोलती है - "राधा, सुबह जब मेरे बेटे को छोड़कर गई थी, तब से ये रो ही रहा है, मुझे पता होता कि तुम बच्चे को संभाल नहीं पाओगी तो मैं कभी इसे यहाँ छोड़कर नहीं जाती, हूं.........;"
ये बोलते बोलते शीला वहां से चली जाती है और राधा अवाक खड़ी कभी उसे जाते हुए और कभी अंदर अकेली बैठी अपनी बेटी को देखती रहती है!
{परिस्थितियों को जाने बिना किसी के भी बारे में कोई क्षणिक राय कायम न करें}
धन्यवाद 😊🙏