एक बार हांसी और हांसनी कहीं जा रहे थे, थककर एक पेड़ पर बैठ गए। वहां उल्लू बैठा था। वह हांसी पर मोहित हो गया और सरपंच के पास उड़ गया। और सरपंच को बोला कि हंस मेरी घरवाली को बजा कर ले जा रहा है और जो सरपंच था वह एक कौवा था और उसने पूरी पंचायत को इकट्ठा किया और हंस और हंसिनी को पंचायत में बुलाया गया तब वार्तालाप शुरू हुईतो तब हंस ने दलील दी कि हंसिनी मेरी तरह उड़ सकती है मेरी तरह बोल सकती है और मेरी तरह दिखती है तो जे उल्लू की घरवाली कैसे हुई उसके बाद उन्होंने हंसिनी से पूछा तो हंसिनी भी बोल दी कि मैं उल्लू कि नहीं मैं हंस की घरवाली हूं उसके बाद हंस और हंसिनी की बात सुनकर साड़ी पंचायत चुप हो गई और उल्लू को बोलने लगी कि तुमने गलत जगह पर पंगा लिया अब इन दोनों से माफी मांग और इन दोनों को विदा कर
उसके बाद पंचायत में से एक कौवा मेंबर उठा और कौवे से पंच के पास जाकर बोला कि हंसिनी बहुत ही ज्यादा सुंदर है और हम इससे उल्लू के घर में बसा देते हैं इसे देखकर हम भी अपनी आंखें गर्म कर लेंगे और इसके साथ ही एक और वोट बढ़ जाएगी और हंस के साथ में बात कर लेता हूं
उसके बाद दोबारा पंचायत बैठी तो कौवा मेंबर ने दलील दी के तुम और हंसिनी एक जैसे हो जे बात हंसिनी भी जानती है तो तू इसकी किस तरह हिफाजत कर सकता है जबकि उल्लू रात को भी देख सकता है यह कर तू इतने जोगा होता तो आज तू हंसिनी को इतनी बड़ी पंचायत में शर्मिंदा नहीं होने देता इतने पर ही सभी कौवे आओ ने रोला प दिया और हंसिनी को उल्लू के घर में बैठा दिया
इसलिए सही किसी ने बोला है की कव्वे वाली कभी भी पंचायत नहीं चुननी चाहिए।
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