papa's fairies

 पापा की परियां होती है बेटियां....!


बेटी की विदाई के वक्त पिता ही सबसे आखिरी में रोता है, क्यों? चलिए आज आपको विस्तार से बताते हैं..!

बाकी सब भावुकता में रोते हैं, पर पिता उस बेटी के बचपन से विदाई तक के बीते हुए पलों को याद कर करके रोता है।

माँ बेटी के रिश्तों पर तो बात होती ही है, पर बाप और बेटी का रिश्ता तो समुद्र से भी गहरा है।

हर बाप घर के बेटे को गाली देता है, धमकाता है, मारता है, पर वही बाप अपनी बेटी की हर गलती को नकली दादागिरी दिखाते हुए, नजर अंदाज कर देता है।

बेटे ने कुछ मांगा तो एक बार डांट देता है, पर अगर बिटिया ने धीरे से भी कुछ मांगा तो बाप को सुनाई दे जाता है, और जेब में रूपया हो या न हो पर बेटी की इच्छा पूरी कर देता है।

दुनिया उस बाप का सब कुछ लूट ले तो भी वो हार नहीं मानता, पर अपनी बेटी के आंख के आंसू देख कर खुद अंदर से बिखर जाए उसे बाप कहते हैं।

और बेटी भी जब घर में रहती है, तो उसे हर बात में बाप का घमंड होता है। किसी ने कुछ कहा नहीं कि वो बेटी तपाक से बोलती है, "पापा....पापा, मुझको (फलां ने) डांटा!"

बेटी घर में रहती तो माँ के आंचल में है, पर बेटी की हिम्मत उसके पिता ही होते हैं।

बेटी की जब शादी में विदाई होती है, तब वो सबसे मिलकर रोती तो है, पर जैसे ही विदाई के वक्त कुर्सी समेटते बाप को देखती है, जाकर लिपट जाती है, और ऐसे कसके पकड़ती है जैसे स्कूल जाते वक्त पहले दिन पापा को पकड़ा था क्योंकि सामने दिख रही दुनिया उसके लिए नई थी, इससे पहले वो एक कंफर्ट जोन में थी और अब उसे एक नई दुनिया का सामना करना था, उसी में जीना था।

खैर बाप खुद रोता भी है, और बेटी की पीठ ठोक कर उसे हिम्मत देता है (जैसे स्कूल के पहले दिन दी थी), कि गुड़िया जल्द ही लेने आ जाऊँगा तुझको; और खुद जान बूझकर निकल जाता है किसी कोने में और उस कोने में जाकर वो बाप कितना फूट फूट कर रोता है, ये बात सिर्फ एक बेटी का बाप ही समझ सकता है।
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जब तक बाप जिंदा रहता है, बेटी मायके में हक़ से आती है और घर में भी ज़िद कर लेती है और कोई कुछ कहे तो डट के बोल देती है कि मेरे बाप का घर है। पर जैसे ही पिता की मृत्यु होती है ओर बेटी आती है तो वो इतनी चीत्कार करके रोती है कि, सारे रिश्तेदार समझ जाते है कि बेटी आ गई।

और वो बेटी उस दिन अपनी हिम्मत हार जाती है, क्योंकि उस दिन उसका बाप ही नहीं उसकी वो हिम्मत भी मर जाती हैं ।।

बाप की मौत के बाद बेटी कभी अपने भाई के घर जिद नहीं करती है,जो मिला खा लिया, जो दिया पहन लिया क्योंकि जब तक उसका पिता थे, तब तक सब कुछ उसका था यह बात वो अच्छी तरह से जानती है।

आगे लिखने की हिम्मत नही है, बस इतना ही कहना चाहते है  कि बाप के लिए बेटी उसकी जिंदगी होती है, पर वो कभी बोलता नही, और बेटी के लिए बाप दुनिया की सबसे बड़ी हिम्मत और घमंड होता है, पर बेटी भी यह बात कभी किसी को बोलती नहीं है!

बाप बेटी का प्रेम समुद्र से भी गहरा है....!!

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