What is the height of hypocrisy?

 मेरे परोस में एक आंटी है, जिन्हे पशु पक्षियों से बेहद लगाव है, ऐसा मैने देखा है। अक्सर गाय बछड़ों को दर्द निवारक बाम लगाती है, रोड पर घूमने वाली बिल्लियों को दूध से भरी कटोरी दे आती है, लावारिस कुत्तों को खाना खिलाती है।



कुल मिलाकर उनके हृदय में प्राणी मात्र के लिए मैने भरपूर करुणा और प्यार देखा है उनमें। मैं उनके इन नेक 


कृत्य को देखकर उनके इस दयालु स्वभाव पर मुग्ध हों जाती थीं।


दिल से उन्हें सम्मान देती थीं। भला कौन आज के समय में पशु पक्षियों से इतना प्रेम करता है।


फिर एक रोज़ उनके द्वारा किया गया अमानवीय कृत्य मेरे मस्तिष्क को झकझोड़ दिया। कुछ महीनों पहले 


की ही घटना है। जब वो अपने नन्हे पालतू पपी को घर की बालकनी में लॉक करके शहर से बाहर चली गई थीं।


पूरे दिन से रात और फिर दूसरे दिनभर और रातभर अनवरत उस पपी का करुण क्रंदन किसी के लिए भी


 सहनीय नहीं था। मेरा तो मन व्याकुल हों गया था, कम से कम किसी परिचित को ही दे जाते बिचारे पपी को।


बार बार मैं और अन्य पड़ोसी उसे चुप कराने का प्रयास करते रहे। लेकिन अकेले नन्हे से पपी को लॉक


 कर देना किस तरह की मानवता है।


उस पप्पी की आवाज़ भी उसका साथ नहीं दे रही थीं, और आज पूरे ४८ घंटो से वो अकेला घर में लॉक था।


 अनवरत भौंकते हुए उन्हें आवाज़ दे रहा था। क्या उन्हें सच में इस बात का अंदाज़ा नही था कि, 


उनके बिना उस बेजुबान जानवर को कितनी तकलीफ़ होगी। अब उनका पशु प्रेम कहां गया था।


खैर, शाम को निरंतर प्रयासरत रहकर मैने ही एक ऑनलाइन मित्र (मयंक यादव) की मदद से ngo वाले 


को फोन करके बुलाया। फिर उन्होंने पपी को बिस्किट के साथ नींद का इंजेक्शन लगाया। और गेट


 का लॉक तोड़कर उस पपी को निकाला।


पूरे तीन दिनों बाद आंटी अपने परिवार साथ आई। और पता चला कोई इमरजेंसी नही थी उन्हें। 


वो तो घूमने गई थी।


लेकिन उन्होंने एक मासूम से बेजुबान पपी को dog care takers में डालना जरूरी नहीं समझा। 


या कम से कम किसी परिचित को ही दे देती।😔


खैर अब भी वो पहले की ही तरह गायों को बाम लगाती हैं, बिल्लियों को दूध का कटोरा देती है, 


कुत्तों को खाना खिलाती है।…….लेकिन अब ये सब मुझे उनका दिखलावटीपन और पाखंड लगता है।😠


जब जी चाहा प्यार किया, और जब जी चाहा उन पशुओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया।😏



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